Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika | तहज्जुद नमाज़ का मुकम्मल तरीका

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Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika | तहज्जुद नमाज़ का मुकम्मल तरीका 



 नमाज ए तहज्जुद का अफजल और बेहतर वक्त रात की आखिरी पहर है इसमें कम से कम 2 रकात और ज्यादा से ज्यादा 8 या 12 रकात नमाज अदा की जाती है

तहज्जुद का मतलब क्या होता है - Tahajjud namaz ka matlab


यह एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है रात की इबादत / या रात की नमाज़ भी कह सकते हैं


फर्ज नमाज के बाद अगर कोई अफजल नमाज है तो वह है रात की आखिरी पहर में पढ़ी जाने वाली नफील नमाज़ यानी तहज्जुद की नमाज़ इसीलिए हमें चाहिए कि इसका है तमाम करें और इसके लिए तहज्जुद की नमाज़ का तरीका को जाने और साथ में पढ़ना भी शुरू कर दें

हदीस में फरमाया गया है रात की नमाज यानी तहज्जुद पढ़ा करो क्योंकि तुम इसे पिछले उम्मीदों के नेक लोग भी तहज्जुद पढ़ा करते थे और यह नमाज तुम्हारे लिए अल्लाह से करीब होने का सबब है और गुनाहों का कफारा करने वाली है और गुनाहों से रुकने वाली है


तहज्जुद की नमाज़ का टाइम कब तक है - Tahajjud namaz ki Time?


तहज्जुद की नमाज़ आप ईशा की नमाज पढ़ कर (Sleep) सो जाएं और जब आपकी नींद खुले तो तहज्जुद की नमाज का टाइम स्टार्ट होता है और सुबह सादिक तक होता है सबसे अच्छा समय यह है कि रात में जब आपकी नींद खुले वह व्यक्त किसी वक्त भी हो वक्त क्यों न हो या आप का नींद 11:00 बजे की टाइम खुले या फ़जर से पहले जब भी खुले आप तहज्जुद की नमाज अदा कर सकते है इसका कोई टाइम फिक्स नहीं है की तहज्जुद की नमाज़ किसी खास टाइम में ही नमाज़ पढ़नी है कोई टाइम फिक्स नहीं है आपकी नींद जब भी खुले रात में आप तहज्जुद की नमाज़ पढ़ सकते हैं

तहज्जुद की नमाज़ कब और कैसे पढ़ी जाती हैं - Tahajjud namaz kab padhen


तहज्जुद नमाज की वक्त ईशा की नमाज के बाद से शुरू हो जाता है बहुत से मुसलमान भाइयों को इसके वक्त के बारे में नहीं पता होता है लेकिन दोस्तों अगर आप तहज्जुद की नमाज पढ़ना चाहते हैं तो आप कोशिश करें कि सोने से पहले पढ़ ले क्योंकि आजकल हर इंसान कम से कम 2:00 बजे रात तक जगता है तो वह तहज्जुद की नमाज आराम से पढ़ सकता है

लेकिन हदीस में बताया गया है कि तहज्जुद की नमाज एक नींद लेने के बाद ही पढ़े जाए तो बेहतर है

तहज्जुद नमाज़ क्या है

तहज्जुद एक नफील नमाज़ है जो तमाम नफ़ली नमाजो पर भारी है नफिल का मतलब क्या होता है आइए जानते हैं नफिल क्या होता है नफिल नमाज वह नमाज होती है जिसे पढ़ लेने से आपका ही फायदा है और अगर ना पढे तो कोई गुनाह भी नहीं है


नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने हमेशा इस वक्त का एहतमाम फरमाया जो लोग तहज्जुद की नमाज पढ़ते हैं वह खुशनसीब बंदे होते हैं क्योंकि हर बंदे को तहज्जुद की नमाज पढ़ने की तौफीक नहीं होती कुछ लोग तो फर्ज नमाज अदा अदा ही नहीं करते तो वह लोग क्या नफिल नमाज पढ़ेंगे


तहज्जुद नमाज को पढ़ने की बहुत सारी फ़ज़ीलतें हैं इसीलिए तहज्जुद की नमाज़ का तरीका जाने से पहले इसके फजीलत को जान लेना बेहतर रहेगा

तहज्जुद नमाज की फ़ज़िलत - Tahajjud namaz ki fazilat

  • तहज्जुद की नमाज जहन्नम की आग से बचाती है
  • तहज्जुद गुज़ार लोग सलामती के साथ जन्नत में दाखिल होंगे
  • तहज्जुद नमाज़ कब्र के वहशत से बचाती है
  • रात में जब सब सो रहे हो उस वक्त अल्लाह के इबादत करना निहायत मुफीद अमल है ना मालूम कौन सा वक्त कबूलियत का हो और हमारी दुआ सुन ली जाए
  • रात की इबादत हमेशा अनेक लोगों की मालूम मामूल रही है तहज्जुद पढ़ने से हम अल्लाह के करीब होते हैं
  • तहज्जुद पढ़ने से बीमारी भी दूर होती है

तहज्जुद की कितनी रकात नमाज़ होती है - Tahajjud ki namaz mein kitani rakat hai


तहज्जुद की नमाज का तरीका यह है कि दो रकात से लेकर 4 रकात या 6 या 8 या ज्यादा से ज्यादा 12 रकात नमाज पढ़ सकते हैं यह नमाज 2 रकात करके पढ़ी जाती है यानी हर 2 रकात के बाद सलाम फिर ना होता है इसके बाद इसकी स्थिति को हम आगे जानेंगे

रात जब आप सो कर उठे तो सबसे पहले वजू करें उसके बाद नमाज के लिए नियत करें जैसे हर नमाज में नियत की जाती है फिर जैसे सब नमाज अदा की जाती है उसी तरह तहज्जुद की नमाज पढ़े तहज्जुद की नमाज में पढ़ने वाले सूरह कोई खास सूरह नहीं है वह सारी सूरते जो पांचों वक्त की नमाज में पढ़ी जाती है वही सूरत तहज्जुद की नमाज में भी पढ़नी होती है हमें चाहिए कि इस नमाज की रकात में लंबी-लंबी सूरह पढ़ें अगर आपको याद है तो आप लंबी-लंबी सूरत भी पढ़ सकते हैं इसमे जरूरी नहीं है बड़ी सूरह चाहिए |


तहज्जुद की नमाज़ का तरीका - Tahajjud ki namaz ka tarika

सबसे पहले आप नियत करेंगे 

नियत मे कहेंगे नियत करता हूं मैं 2 रकात नमाज ए तहज्जुद नफील वास्ते अल्लाह ताला के
रुख  मेरा काबा शरीफ की तरफ  (अल्लाहु अकबर )

आप दोनों हाथों को कानों तक लेकर जाएंगे और अल्लाह पर कहते हुए दोनों हाथों को नाफ़
 के नीचे बांध लेंगे और  सना (Sana ) पढ़ें .

सुबहानक -ल्लाहुम्मा व बि हमदिका व तबार कसमु का व त आला जद्दुक  व ला इलाह गरुक

इसके बाद तव्वुज़ पढ़ें यानी

अऊज़ू बिल्लाही मिनश-शैतानि-र्रजीम 
फिर उसके बाद तस्मिया , यानी
बिस्मिल्ला-हिर्रहमानिर्रहीम  
उसके बाद सूरह फातिहा और कोई एक सूरत मिलाने के बाद

इसके बाद सूरह फातिहा पढ़ें 

सूरह फातिहा के बाद कोई एक सूरह पढ़ें


अल्ला हू अकबर कहते हुए रुक में जाएं


रुको मैं जाने के बाद अल्लाह की तस्वीह बयान करें

वह तस्वीह यह है सुबहान रब्बियल अजीम

उसके बाद ( समीअल्लाहु लिमन हमिदा ) कहते हुए रुकू से खड़े हो जाएं सीधे तरीके से

खड़े होने के बाद एक बार ( रब्बना लकल हम्द ) फिर ( अल्लाहु अकबर )

कहते हुए सजदे में जाए


सजदे की तस्वीर कुछ इस तरह है सुबहान रब्बियल आला 

फिर उसी तरह से दोसरी सजदा करें

दोनों सजदे करने के बाद यहाँ आपकी 1 रकात नमाज़ हो गई दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं

दूसरी रकात सेम तरीके से पड़ेंगे जिस तरह से आपने पहली रकात पढ़ी इसमें कुछ भी बदलाव नहीं करेंगे पहली रकात में सूरह फातिहा पढ़ने के बाद जो आपने सूरह पढ़ी थी उस सूरत को ना पढ़कर अगले वाली सूरत को पढ़ें जैसे- सूरह इखलास


मतलब - अगर आपने पहली रकात मे सूरह कौसर पढ़ा तो दोसारी रकात मे सूरह इख्लास पढ़ें

 

यह सब करने के बाद अगर आपको 2 रकात नमाज पढ़नी है तो तशहूद के लिए बैठ जाएंगे

और अत्ताहीयत पढ़ेंगे वो यह है. अत्तहीयात पढ़ें (attahiyat hindi mein)


फिर एक दरूद पढ़नी होती है वो यह है क्लिक करें दरूद ए इब्राहिमी


और फिर कोई एक दुआ पढ़ें बेहतर ये दुआ है - दुआ ए मासूरह

दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर देनी है यहाँ आपकी 2 रकात फ़जर की सुन्नत नमाज़ अदा हो जाएगी



कुछ जरूरी बात

अगर आपको यकीन हो कि आप ताज्जुब के लिए उठेंगे तो आप ऐसा के वित्र की नमाज़ को छोड़ सकते हैं ताज्जुब के साथ पढ़ने के लिए जादू तहज्जुद की नमाज़ तहज्जुद के साथ आखिरी में भीतर पड़ेंगे यदि अगर आपका रात में उठना तय नहीं है तो ईशा की नमाज के साथ वितरिका पढ़ना पढ़ लेना बेहतर है






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