वज़ू के फ़राइज़ || wazu me kitane farz hain

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 वज़ू के फ़राइज़ || wazu me kitane farz hain 

वज़ू में कितने फराइज है 


वज़ू के फ़राइज़ आज के इस आर्टिकल में वजू की कितनी फराइज़ वो  जानेंगे तो दोस्तों 

वज़ू  में चार चीजें फर्ज़ हैं। (1) पूरे चेहरे का एक बार धोना। (2) एक बार दोनों हाथों का कुहनियों समेत 

धोना, (3) एक-एक बार चौथाई सर का मसह करना यानी गीला हाथ सर पर फेर लेना, (4) एक बार टखनों समेत दोनों पैरों का धोना।


(कुरआन मजीद, अलमगीरी वगैरह आमः कुतुब फिक्कह) 


"मसअलह" 

वज़ू या गुस्ल में किसी आजा को धोने का यह मतलब है कि जिस अज्च को धोवे उस के हर हिस्से पर|| कम से कम दो बूंद पानी बह जाए अगर कोई हिस्सा भीग तो गया मगर उस पर पानी नहीं बहा तो वुजू या गुस्ल नहीं होगा। बहत से लोग बदन पर पानी डाल कर हाथ फिरा करके बदन पर पानी चिपड़ लेते हैं और समझ लेते हैं कि बदन धुल गया। यह गलत तरीका है बदन पर हर जगह पानी का कम से कम दो बूंद बह जाना जुरुरी है

वज़ू  की दुआएँ 

कल्ली करते वक़्त पढ़े

अल्लाहुम्मा अ इन्नी अला वतिल कुरआनि व ज़िक रिक शुक् रि क व हुस्ने इबादतिक 

तर्जुमा  इलाही मेरी मदद फ़रमा कुरआने अज़ीम तिलावत और अपने जिक्र व शुक्र और अच्छी इबादत में!


 नाक में पानी डालते वक्त पढ़े

अल्लाहुम म अ रिहनी राए ह तल  जन्नति वला तु रिहनी राए हतन नार-

तर्जुमा  इलाही मुझ को जन्नत की ख़ुशबू सुघा और दौज़ख की बदबू ना सँघा।


मुँह धोते वक्त पढ़े

अल्लाहुम् म बैय्यिद वज्ही यौ म तब यदु वुजू हुँव व तस् वद्दु वुजू हुन

तर्जुमा इलाही मेरा मुँह उजला कर जिस दिन उजले होंगे और कुछ काले। 


दाहिना हाथ धोते वक्त पढ़े

अल्लाहुम् म अअतिनी किताबी बि यमानी व हासिबनी हिसाबय यसीरा 

तर्जुमा  इलाही मेरा आमाल नामा दाहिने हाथ में दे और मझ से आसान हिसाब ले।


बायाँ हाथ अधोते वक्त पढ़े

अल्लाहुम् मला तुअ तिनी किताबी बि शिमाली व ला मिव व राए ज़हरी

 


तर्जुमा  इलाही मेरा नामए आमाल मेरे बायें हाथ में न देना न पीठ के पीछे से। 

सर का मसह करते वक्त पढ़े

अल्लाहुम्म ज़िल ल नी तह त 

जिल्लि अर्शि क यौम ला जिल ल

इल्ला जिल ल अर्शि क


तर्जुमा  इलाही मुझे अपने अर्श के साये में रख, जिस ७ दिन साया नहीं, मगर तेरे अर्श का।


कानों का मसह वक्त पढ़े

अल्लाहुम् मजअलना मिनल्लजी  यस्तमिऊनल को ल फ यत्तबिऊ न अहसनाह

तर्जुमा  इलाही मुझे उन म कर जा कान लगा कर बात सुनते और अच्छी बात पर अमल करते हैं


गर्दन का मसह करते वक़्त पढ़े

अल्लाहुम् म आतक रकबती मिनन्नार

तर्जुमा  इलाही मेरी गर्दन आग से आज़ाद फरमा


सीधा पाँव धोते वक्त पढ़े

अल्लाहुम्म सब्बित क द मि अलस्सिराते यौ म तज़िल्लुलअकदाम

तर्जुमा  इलाही मेरे पाँव सिरात पर जमा जिस दिन पाँव फिसलें 


उल्टा पाँव धोते वक्त पढ़े

अल्लाहुम्मअल जन्बी मग़फ़रव व । सई मश्करॅव व तिजारती लन त बूर

तर्जुमा इलाही मेरा गुनाह मुआफ़ कर और मेरा काशिश ठिकाने लगा और मेरी तिज़ारत हलाक न हो। 


नोटः या सब जगह दुरुद शरीफ़ ही पढ़े यही अफ़ज़ल है आर | वुजू से फ़ारिग़ होते ही यह पढ़े

अल्लाहुम्मअल्नी मिनत्तव्वाबीन वज्अल्नी मिनल्मुततहिरीन


तर्जुमा  इलाही तू मुझे बहुत तौबा करने वाला सुथरा होने वालों में कर दे कि जन्नत के आठो दरवाज लिए खोल दिये जायेंगे जिस दरवाजे से चाहे दाखिल हो। और बचा हुआ पानी खड़े होकर पी ले कि शिफाए इमराज़ है और आसमान की तरफ मुँह करके यह पढ़े



सुब्हान क अल्लाहुम्म व बिहम्दिक अश्हदु ॲल्लाइलाह इल्ला अन् त अस्तराफिरु क व अतूबुइलेक

तर्जुमा तू पाक है ऐ अल्लाह और मैं तेरी हम्द करता है । म गवाही देता हूँ कि तेरे सिवा कोई माअबूद नही तुझ से मुआफ़ी चाहता हूँ और तेरी तरफ़ तौबा करता हूँ। फिर कालमए शहादत और सूरह इन्ना अन्जल्लाहु पढ़

आअज़ाए वुजू बगैर जरुरत न पोछे और पछि ता नमा बाका 9 नाक राज़ क़यामत पल्ल-ए-हसनात में रखा जाएगा और हाथ न झटके कि शैतान का पंखा है।


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