दुनिया इत्तेफाक़ से बनी है || Kya duniya Ittefaaq se ban gai?

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दुनिया इत्तेफाक़ से बनी है || Kya duniya Ittefaaq se ban gai?

क्या ये दुनिया इत्तेफाक़ से बनी है या कोई है जो हमारी ज़िंदगी चाहता है आइए जानते है इसके बारे में स्टेप बाइ स्टेप

इस पोस्ट पूरा ज़रूर पढ़ें बहुत अछी जानकारी मिलेगी इंशा अल्लाह

जब हम इर्तिक़ाई साइंस दोनों यानी विकासवादी 

पानी सिर्फ ज़मीन पर ही क्यों ?

Pani Sirf Zameen Par Hi Keun

आइए हम विज्ञानों से पूछते हैं(Pani sirf zameen par hi keun) कि पानी जो हमारी ज़िन्दगि

के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है वो सिर्फ़ हमारी ज़मीन पर क्यों है ॽ तो जवाब मिलता है कि यह 

एक इत्तिफ़ाक़ है क्या यह सच में जायज़ा लेते हैं कि यह एक इत्तिफ़क़़ या इत्तिफ़ाक़ात का एक 

लम्बी श्रृंखला है जो ख़त्म ही नहीं हो रहा 

याद रहे कि नास्तिकों का कहना है कि यह कायनात अपने आप इत्तिफ़ाक़ से बन गईं उसी 

इत्तिफ़ाक़ का जायज़ा लेते हैं आगे चलते हैं 


सिर्फ़ पानी के मामलात का एनालाइज करें तो इत्तिफ़ाक़ात की लाइन लग जाती हैं। 

आइए समझते हैं 

अगर आप साइंस से सवाल पूछें कि ज़मीन पर पानी क्यों है?तो जवाब होगा वो इस लिए कि 

ज़िन्दा रहने के लिए पानी ज़रूरी था लिहाज़ा आ गया ,मैं: कहां से आया ?

साइंस: पता नही़ क्या यह जवाब तसल्ली बख्श है ?   


क्या इसमें एक डिजाइनर का स्वीकार नहीं आता

कि जिसे पता था कि जिस मख़लूक़ को डिजाइन किया जा रहा है उसका पानी के बग़ैर 

गुज़ारा नहीं ? पानी क्यों ज़रूरी है ? पानी अगर न होता तो ज़मीन पर ज़िन्दगी

वजूद में नहीं आ सकती थी, आज भी अगर पानी किसी वजह से ख़त्म हो जाए तो ज़िन्दगी 

शायद कुछ ही घंटों में दम तोड़ दे, उसमें इन्सान 

जानवार पेड़ पौधे कीड़े या जरसूमे की कोई कैद नहीं, हर वो चीज़ जिसे आप ज़िदा कहें वो पानी 

के बगै़र मुर्दा हो जाएगी, 


मगर पानी का खात्मा मुमकिन नहीं, इसकी वजह यह है कि हम पानी का एक क़तरा भी 

इस्तेमाल नहीं करतेबल्कि उसे बस अपने बाॅडी मैं से गुज़राती हैं, जिस तरह बाहरी बाॅडी को 

पानी से धोने को हम नहाना कहते हैं, बिल्कुल वही काम अंदरुनी बाॅडी के लिए हम पानी पीने की सूरत में करते है, 


पानी का एक छोटा सा वाटर साइकल है जिसे सब जानते हैं, सूरज का समंदर पर आग बरसना 

पानी का बुख़ारात यानी कि भाप बन कर उड़ना, बादल बनाना, हवा का बादलों को चलाना और 

फिर बारिश की शक्ल में बरस जाना, यह एक छोटा सा वाटर साइकल है 


मगर पानी का एक बहुत बड़ा वाटर साइकल भी है, इस वाटर साइकल में तमाम ज़िन्दा बाॅडी अपनी अपनी ज़रुरत के मुताबिक पानी जज़्ब करते हैं, जब-तक यह बाॅडी ज़िन्दा रहते हैं उनके 

बाॅडी में पानी की एक मख़्सूस मात्रा हमेशा मौजूद रहती है, फिर जब वो बाॅडी मुर्दा हो जाता 

है तो वो पानी उस बाॅडी से अलग हो कर दोबारा 

ज़मीन का हिस्सा बन जाता है, यानी बर्बाद किसी भी सूरत में नहीं होता!

समंदर का पानी नमकीन क्यों है ?

Samandar Ka Pani Namkin Keun Hai?

अब अगला सवाल समंदर का पानी नमकीन क्यों है? (Samandar ka pani namkin keun hai)

ज़वाब देंगे: नमक पहाड़ों से बारिश के पानी के साथ बहता हुआ आता रहा और समंदर 

में मिलता रहा यहां तक कि समंदर नमकीन हो गया तो क्या यह जवाब तसल्ली बख्श है ? यह 

तो कैसे जवाब है, मेरा सवाल तो क्यों पर आधारित था 


इस सवाल को थोड़ा सा गंदला कर देते हैं हम साइंस से इस सवाल से पहले एक और 

सवाल पूछ लेते हैं, अगर समंदर में नमकीन न होता क्या होता ? साइंस एक आइ भर कर 

जवाब देगी कि फिर इस ज़मीन पर किसी हयात का कोई वजूद न होता, न हम होते न तुम होते, 

कोई ज़िन्दा न होता! वजह ?


वजह यह कि मीठे पानी का बड़ा ज़ख़ीरा ज़्यादा 

समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता वरना उसमें सड़न और बदबू फैल जाएगा जो पूरी हरित के लिए बजाते ख़ुद एक क़तरा बन जाएगा‌

इस दुनिया में ३६करोड़ वर्ग किलो मीटर पर समंदर है, यानी ज़मीन पर एक हिस्सा ख़ुशकी है

और तीन हिस्से पानी, और अगर यह सारा पानी बदबू जदा हो जाए तो पूरी ज़मीन को लपेट में ले ले गा, 


इस जवाब के बाद अब पहले वाला सवाल दोबारा दोहराएं समंदर का पानी नमकीन क्यों 

है ? और जवाब हो कि नमक पहाड़ों से बारिश के साथ बहता हुआ आता रहा और समंदर में मिलता रहा यहां तक कि समंदर का पानी नमकीन हो गया


क्या अब यह जवाब तसल्ली बख्श है ? मुझे लगता है कि अब यह जवाब उससे करोड़ों गुना ज़्यादा ग़ैर सलल्ली बख्श हो चुका है जितना  

पहले था यानी अगर तो मामला यह है कि समंदर के नमकीन होने से हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता तो फिर हमारी बला से नमक जहां से 

मर्ज़ी आ कर समंदर में शामिल हो जाए, मगर 

अगर हमें यह पता चल जाए कि समंदर में मिला 

नमक हमारी ज़िन्दगी और मौत से जुड़ा है तो फिर अगला सवाल यक़ीनन डिजाइनर का उठेगा 

वह कौन है जो यह जानता था कि समंदर लाज़मी तौर पर नमकीन होना चाहिए ?


समंदर में लहरें क्यों पैदा होती हैं?

Samandar Mein Lahren Keun Paida Hoti Hain

अगला सवाल समंदर में लहरें क्यों पैदा होती हैं? (Samandar me lahre keun paida hoti hai)

जवाब यह जबाव और चांद की ग्रोविटी की वजह से समंदर में लहरें पैदा होती हैं 

क्या यह जवाब तसल्ली बख्श है?यह भी कैसे 

का जवाब है क्यों का नहीं!तो आइए वही पिछला तजुर्बा यहां भी दोहरा कर इस सवाल को भी थोड़ा गंदला कर दें अगर समंदर में लहरें पैदा न होतीं तो क्या होता? जवाब वही है, न हम होते न तुम होते न यहां कोई हयात होतीं 

वजह ? 


वजह यह कि समंदर में जो नमक जा रहा है उसका सिर्फ़ समंदर में जाना काफ़ि नहीं है,

बल्कि उसका पानी में हल होनि भी इंतिहाई ज़रूरी है, जैसे एक ग्लास में आप दो चम्मच नमक डाल लें, मगर उसको हल न करें तो उस नमक का प्रभाव सिर्फ़ ग्लास की तह तक रहेंगे,बिल्कुल इसी तरह अगर पानी में लहरें न हों तो 

नमक तह में जमा होता रहेगा मगर पानी में हल नहीं होगा और नतीजा वही बदबू तअफ़्फुन 


 अब ज़रा बैठ कर सोचिए कि समंदर में उछाल का सबब केवल हवा और ग्रेविटी ही है 

या कोई है जो हर हाल में हमारी ज़िन्दगी चाहता है ?


बारिश क्यों होती है ?

Barish Keun Hoti Hai?


अगला सवाल बारिश क्यों होती है?( Barish keun hoti hai ) जवाब यह है कि

सूरज अपनी तपिश पानी पर बरसाता है

और पानी भाप की शक्ल में उड़ जाता है बादल बनते हैं फिर हवा उन बादलों को चलाती है फिर 

वो बादल खुश्की पर जाकर बरस जाते हैं और वो पानी हम पीते हैं क्या यह जवाब तसल्ली 

बख्श है ? इसे भी थोड़ा गंदला कर लें ?


अगर बारिश न होती और हम समंदर का पानी बग़ैर इस फिल्टर के निज़ाम के ब्याहे रास्त पीते 

तो क्या होता ? इसका साइंसी जवाब यह है कि हम मर जाते !

क्यों ?


क्योंकि नमक मिले पानी को पहली बात मादा एक्सेप्ट ही नहीं करता और अगर एक्सेप्ट कर 

भी ले तो डी हाइईशन का सबब जाता है, यही वजह की बीच समंदर में लोग मीठा पानी न 

होने के सबब प्यास से तो मर सकते हैं मगर समंदरी पानी पी नहीं सकते़ 


अब यहां इत्तिफ़ाक़ात का एक लम्बा चौड़ा सिलसिला देखिए ज़मीन पर पानी की मौजूदगी ?

इत्तिफ़ाक़ 

पानी का नमकीन होना ?

इत्तिफ़ाक़ 

फिर उस नमकीन पानी को नमक से अगल करके बादलों के रास्ते सफ़्फ़ाफ़ करके

इन्सान पर बरसा कर उसे पीने का पानी अता करना ?

इत्तिफ़ाक़ 

फिर उस नमकीन पानी को नमक से अगल करके बादलों के रास्ते सफ़्फ़ाफ़ करके

इन्सान पर बरसा कर उसे पीने का पानी अता करना ?

इत्तेफाक

क्या आप इन तमाम इत्तेफाकात से इत्तेफाक करते हैं 

सच्चाई तो ये हैं न तो यह कायनात इत्तेफाक से बनी है न हम 

बल्कि इसे एक सुपर पावर ताकत ने बनाया जिसे रब्बुल आलमीन कहकर पुकारा जाता हैं  


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अल्लाह हाफ़िज़





 

 


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