चार कुल सूरतें: अल्लाह की हिफाजत और आत्मिक सुरक्षा की गारंटी
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Allahs Protection Divine Security Spiritual Safeguard Divine Providence Assurance Of Salvation
आप चार "कुल" कोरानी सूरतें (4 Qul) के बारे में जानना चाहते हैं, जिन्हें आप अरबी में पढ़ सकते हैं और इसके साथ ही उनके हिंदी में लाभ (फायदे) भी जानना चाहते हैं। यहां वे हैं:
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चार कुल: अल-इखलास, अल-फलाक, अन-नास, और अल-मसद्द
कुरान, मुसलमानों के पवित्र किताब के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और इसके अनेक उपाय हैं जो व्यक्ति के जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। इसके भाग के रूप में, चार कुल एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और लोगों द्वारा व्यापक रूप से पढ़े जाते हैं। यहां हम चार कुल के हिंदी में विभिन्न फायदों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे:
1. सूरह अल-इखलास (Surah Al-Ikhlas / الْإِخْلَاصُ ):
यहां सूरह फलक का अरबी में मूल पाठ है और इसका हिंदी में तर्जुमा निम्नलिखित है:
Surah Al-Ikhlas |
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ
اللَّهُ الصَّمَدُ
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ
وَلَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ
हिंदी तर्जुमा:
इस्माईल अल्लाह रहमान रहीम के नाम से शुरू करता हूँ।
कहो, वह अल्लाह एक है।
अल्लाह सबसे आदरणीय है।
उसने जन्म नहीं लिया और न ही किसी को जन्म दिया।
और उसके किसी के साथ कोई तुलना नहीं है।
सूरह अल-इखलास "कहो, वह अल्लाह एक है" के अर्थ को दर्शाती है। इसके पठन से मन में अल्लाह की एकता का बोध होता है और इसके द्वारा हम अल्लाह के साथ किसी भी दूसरे की अस्तित्व को नकारते हैं। यह सूरह शीतोष्ण के तापमान में स्थिरता आती है और मन को शांति प्रदान करती है। यह पठन मन को स्थिर और प्रशांत बनाकर मनोवैज्ञानिक तनाव को दूर करता है। यह सूरह भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाती है और हमें स्वयं को अल्लाह की एकता में स्थिति करती है।
2. सूरह अल-फलाक (Surah Al-Ikhlas / الْفَلَقُ):
यहां सूरह फलक का अरबी में मूल पाठ है और इसका हिंदी में तर्जुमा निम्नलिखित है:
Surah Al-Falaq |
(Surah Al-Falaq)
अरबी:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ
مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ
وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ
وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ
وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ
हिंदी तर्जुमा:
इस्माईल अल्लाह रहमान रहीम के नाम से शुरू करता हूँ।
कहो, मैं रब की पनाह मांगता हूँ, जो सभी की सृष्टि के ख़राबी से बचाता है।
और रात्रि की घनघोरता के ख़राबी से जब वह छाँव में ढल जाती है।
और बाँधनेवाली औरों की ख़राबी से, जो जादू टोने में संलग्न होती हैं।
और हसीद (जलने वाले) की ख़राबी से, जब वह जलता है।
सूरह अल-फलाक "कहो, मैं दिन के उदय होने वाले परमेश्वर की पनाह मांगता हूँ" के अर्थ को दर्शाती है। इस सूरह को पठने से बुरी नजर, जादू-टोना, रोग और शरारती रूहों से सुरक्षा मिलती है। यह सूरह रात के समय पठने से भयानक रोगों और बुरे सपनों से सुरक्षा करती है। यह हमें अपने आप को शारीरिक और मानसिक रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है और एक सुरक्षा की तारीका प्रदान करती है। इसके पाठन से मन और शरीर में शांति और सुरक्षा की भावना आती है।
3. सूरह अन-नास (Surah An-Nas / النَّاسُ )
यहां सूरह नास का अरबी में मूल पाठ है और इसका हिंदी में तर्जुमा निम्नलिखित है:
Surah Al-Nas |
अरबी:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ
مَلِكِ النَّاسِ
إِلَٰهِ النَّاسِ
مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ
الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ
مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ
हिंदी तर्जुमा:
इस्माईल अल्लाह रहमान रहीम के नाम से शुरू करता हूँ।
कहो, मैं नास के रब की पनाह मांगता हूँ।
नास के स्वामी की पनाह मांगता हूँ।
नास के देवता की पनाह मांगता हूँ।
जो छिपकर उसमें वास करने वाले के बुराई से होता है।
जो लोगों के दिलों में वास करने वाला ख़याल देता है।
जिन्नात और लोगों के बुराई से।
सूरह अन-नास "कहो, मैं मानवों के स्वामी की पनाह मांगता हूँ" के अर्थ को दर्शाती है। यह सूरह पठने से बुरे विचारों, कष्टों, और दुश्मनों से सुरक्षा मिलती है। यह सूरह मानसिक तन
ाव को कम करके मन को शांति प्रदान करती है। इस सूरह के पाठन से हम अपने आप को आत्मरक्षा में मजबूत महसूस करते हैं और दुश्मनी के प्रति सतर्क रहते हैं। यह हमें अपने विचारों और कार्यों को साफ करने में मदद करती है और मन को शुद्ध और स्वच्छ रखती है।
4. सूरह अल-मसद्द (Surah Al-Kafirun/الْكَافِرُونَ)
यहां सूरह काफिरून का अरबी में मूल पाठ है और इसका हिंदी में तर्जुमा निम्नलिखित है:
Surah Al-Kafiroon |
अरबी:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ
لَا أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ
وَلَا أَنْتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ
وَلَا أَنَا عَابِدٌ مَا عَبَدْتُمْ
وَلَا أَنْتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ
لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِيَ دِينِ
हिंदी तर्जुमा:
इस्माईल अल्लाह रहमान रहीम के नाम से शुरू करता हूँ।
कहो, हे अविश्वासी लोगों!
मैं वह नहीं पूजता जिसे तुम पूजते हो।
और तुम वह नहीं पूजते जिसे मैं पूजता हूँ।
और मैं वह नहीं पूजता जिसे तुम पूजते हो।
और तुम वह नहीं पूजते जिसे मैं पूजता हूँ।
तुम्हारा अपना धर्म है, और मेरा अपना धर्म है।
"Divine Grace " सूरह काफिरून उन्नती के दौरान मक्की कालम में उत्पन्न हुई है। यह सूरह हमें एक मुस्लिम के आराध्य देवता के प्रति अस्वीकार का व्यक्त करती है। इसे पठने से हम अपनी आस्था के प्रति स्थिर रहते हैं और अपनी सच्ची पूजा के लिए समर्पित रहते हैं। यह हमें स्वतंत्रता, स्वाधीनता, और आत्मिक आदर्शों की प्राप्ति प्रदान करता है।
इन चार कुल सूरतों को नियमित रूप से पढ़ने से आप धार्मिक और मानसिक आत्मरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यह सूरतें शांति, सुरक्षा, और ध्यान को बढ़ाती हैं और हमें अपनी आदतों और व्यवहार को सुधारने में मदद करती हैं। इनके पाठन से हम अपनी धार्मिक और मानसिक संघर्षों से परिपूर्ण जीवन जी सकते हैं और अल्लाह की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।