Surah Fatiha in hindi | सूरह फातिहा हिन्दी में सीखें

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Surah Fatiha in hindi | सूरह फातिहा हिन्दी में सीखें 

Ayatul Kursi

सूरह फातिहा तर्जुमे के साथ हिन्दी 


बिस्मिल्लाहि र-रहमानि र-रहीम

अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान निहायत रहम करने वाला 

 अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन

सब तरीफ़े अल्लाह के हैं जो तमाम जहानों का रब है 


 अर रहमा निर रहीम

बहुत मेहरबान निहायत रहम करने वाला 

 मालिकि यौमिद्दीन

बदले के दिन का मालिक 

 इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन

हम तुझी को पूजें और तुझी से मदद चाहें 

 इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम

हमको सीधा रास्ता चला 

 सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम  गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (आमीन)


रास्ता उनका जिन पर तूने एहसान किया  न उनका जिन पर गजब हुआ और न बहकें हुओं का 
तफ़सीर बिस्मिल्लाहि र-रहमानि र-रहीम
( बिस्मिल्लाहि अल्लाह के नाम से शुरू ) अल्लामा अहमद सावी र अ फरमाते हैं कुरआन मजीद की इब्तदा बिस्मिल्लाहि से इस लिए की गई ताकि अल्लाह ताला के बंदे इस की पैरवी करते हुए हर अछे काम की इब्तदा बिस्मिल्लाहि से करें
और हदीस पाक में भी (अच्छे) और अहम काम की इब्तदा बिस्मिल्लाहि से करने की तरगिब दी गई है UPDATE SOON....
 अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन{अल्हम्दुलिल्लहि: सब तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं यानि हर तरह की हम्द और तारीफ का मुस्तहिक अल्लाह ताला है क्योंकी अल्लाह ताला कमाल की तमाम सिफ़ात का जामिअ हैं  
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अर-रहमा निर रहीम
{अर-रहमा: बहुत मेहरबान_ रहमान और रहीम अल्लाह ताला के दो सिफ़ाती नाम नाम है रहमान का माना है: नियमतें अता करने वाली वो जात जो बहुत ज़्यादा रहमत फरमाए और रहीम का माना है बहुत रहम फमाने वाला UPDATE SOON....
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  मालिकि यौमिद्दीन {मालिकि यौमिद्दीन : जजा के दिन का मालिक जजा के से मुराद कयामत का दिन है की उस दिन नेक आमाल करने वाले मुसलमानो को सवाब मिलेगा और गुनहगारों और काफिरों को सजा मिलेगी जबकि मालिक उसे कहतें हैं जो अपनी मिल्कियत में मौजूद चीजों में जिसे चाहे तसररूफ़ करे अल्लाह ताला अग्रचा दुनीया व आखिरत दोनो का मालिक है लेकिन यहाँ कयामत के दिन को बतौर खास इस लिए जिक्र किया ताकि इस दिन की अहमियत दिल में बैठे नेज दुनिया के मुकाबले में अखिरत में अल्लाह ताला के मालिक होने का जुहूर ज़्यादा होगा क्योंकी उस दिन किस के पास जाहिरी सल्तनत भी न होगी जो अल्लाह ताला ने दुनीया में लोगों को अता फरमाई थी इस लिए यहाँ खास तौर पर कयामत के दिन की मिल्कियत का जिक्र किया गया 

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 इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन{ इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन: हम तेरी ही इबादत करतें हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं इससे पहले वाली आयात में बयान हुआ की हर तरह की हम्द व सना का हकीकी मुस्तहिक अल्लाह ताला है जो की सब जहानों का पालने वाला, बहुत मेहरबान और रहम फरमाने वाला है और उस आयत से बंदों को सिखाया जा रहा है की अल्लाह ताला के बारगाह में अपनी बंदगी का इजहार यौं करो की ए अल्लाह हम सिर्फ तेरी ही इबादत करतें हैं क्योंकी इबादत का मुस्तहिक सिर्फ तू ही है और तेरे अलावा और कोई उस लाइक नहीं की इसकी इबादत की जा सके और हकीकी मदद करने वाला भी तू ही है तेरे इजाजत व मर्जी के बेगैर कोई किसी की किसी किस्म की जाहिरी, बातिनी, जिस्मानी रूहानी,छोटी बड़ी कोई मदद नहीं कर सकता  
c इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम

  इहदिनस्सिरातल मुस्तक़ीम{इहदिनस्सिरातल मुस्तक़ीम:हमे सीधे रास्ते पर चला_ } आलाह ताला की जात व सिफात की मगफिरत के बाद उसके इबादत और हकीकी मददगार होने का जिक्र किया गया और अब यहाँ से एक दुआ सिखाई जा रही है की बंदा यूं अर्ज करे ये अल्लाह तूने अपनी तौफीक से हुमए सीधे रास्ता दिखा दिया अब हमारी उस रास्ते की तरफ हिदायत में इजाफा फरमा और हमे उस पर साबित कदम रख सिराते उसतकीम का माना update soon.... 

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सिरातल लज़ीना अन अमता अलैहिम {सिरातल लज़ीना अन अमता अलैहिम उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने ईहसान किया ये जुमला उससे पहली आयात की तफ़सीर है की सीरात मुस्तकीम् से मुराद उन लोगों का रास्ता है जिन पर अल्लाह ताल इहसान व इनआम फरमाया और जिन लोगों पर अल्लाह ताला ने अपना फाजलों इहसान फरमाया है उन के बारे में इरशाद फरमाता है । सूरह निसा 69 तर्जुमा :और जो अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करे तो उन लोगों के साथ होंगे जिन पर अल्लाह ने फजल किया यानि अंबिया और सिद्दीकीन और शुहदा और सलीहीन और ये कितने अच्छे साथी हैं। 

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