Namaz e Juma ka tarika Hindi | जुमा कैसे पढ़ें

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 Namaz e Juma ka tarika Hindi | जुमा कैसे पढ़ें

दोस्तों आज की इस पोस्ट में Namaz e juma ka tarika जुमे की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है कितनी रकातें नमाज़ होती है

नियत कैसे करनी है तमाम जानकारी इस पोस्ट से मिलेगा इंशा अल्लाह..


दोस्तों.

जुम्मा एक बहुत बड़ी फजीलत वाली दिन होता है जिसे छोटा ईद भी कहा जाता है जो हफ्ते में एक दिन यानी Friday के दिन जुमे की नमाज होती है


यह नमाज हर बालिग मर्द पर पढ़ना फर्ज है इस की फजीलत जोहर से कहीं ज्यादा है इसका इनकार करने वाला काफिर है हदीस शरीफ में है कि जिसने 3 जुमा लगातार छोड़े उसने इस्लाम को पीठ पीछे फेंक दिया वो काफिर है।


जुम्मा नमाज ना पढ़ने की सजा क्या है


हजरत अब्दुल्लाह बिन उम्र और हजरत अबू हुरैरा (र. अ )रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम को फरमाते हुए सुना कि आप मेंबर की सीढ़ियों पर यह फरमा रहे थे जो लोग जुमे की नमाज छोड़ देते हैं वह लोग खबरदार हो जाए वरना अल्लाह ताला उनके दिलों पर मोहर लगा देगा फिर वह लोग गफिलीन में से हो जाएंगे मुस्लिम 865


जुम्मा नमाज़ का टाइम


जुमे की नमाज जोहर की नमाज के बदले में ही पढ़ी जाती है क्योंकि जुमे की नमाज के बाद जोहर की नमाज होती है


Indian standard time के मुताबिक़ जोहर की अजान 12:30 पर होती है और जमाअत 01:30 PM होती है

जुमे की नमाज का टाइम हर जगह 15 से 20 मिनट पहले या बाद में होता रहता है


जुम्मा की नमाज की रकात क्या है

जुमे की नमाज की रकात 14 होती है जिसमें 4 रकात सुन्नत 2 रकात फर्ज 4 रकात सुन्नत दूर का सुन्नत और आखिर में 2 रकात नफिल पढ़ी जाती है



नोट :- अगर आप चाहे तो जैसे ही मस्जिद में दाखिल हों तो दो रकात मस्जिद में दाखिल होने की नफिल पढ़ सकते हैं आप मस्जिद में देखते होंगे अक्सर मुस्लिम भाई चार रकात सुन्नत से पहले 2 रकात मस्जिद में दाखिल होने की नफिल पढ़ते हैं


जुमे की नमाज का तरीका

आज की इस पोस्ट में हम आपको सिर्फ जुम्मी की 2 रकात फर्ज नमाज के तरीकों के बारे में जानेंगे


बाकी अगर आपको सुन्नत और नफील का तरीका के बारे में जानना है तो यह पोस्ट है तो इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं

जुम्मा की नमाज पढ़ने के लिए सबसे पहले आपको वजू करना जरूरी है क्योंकि बिना वजू की नमाज नहीं होती है ध्यान रहे कि वजू इत्मीनान और सही तरीके के साथ करें इसलिए आपको सबसे पहले वजू का तरीका जानना आपके लिए बेहद जरूरी है



कोशिश करें कि वजू घर से बनाकर चलें इसका भी ज्यादा सवाब है फिर जब मस्जिद में दाखिलहो जाएं तो दाखिल होने की दुआ पढ़े फिर मस्जिद के अंदर दाखिल हो जाए


इसके बाद अगर आपके पास ज्यादा समय है तो सबसे पहले दो रकात का मस्जिद में दाखिल होने की नमाज़ पढ़े फिर 4 रकात जुमे की सुन्नत पर है फिर इमाम के खुद भी सुने खुद भी मुकम्मल होने के बाद इमाम के साथ फर्ज नमाज के लिए खड़े हो



जुम्मे की 2 रकात नमाज का तरीका यह है कि आपको बता दें कि जुम्मा फर्ज नमाज होती है अकेले या खुद इस नमाज को पढ़ना नहीं पढ़

नमाज़ की पहली रकात


आइए जानते हैं दो रकात फर्ज नमाज इमाम के पीछे कैसे पढ़ी जाती है सबसे पहले किबला रुक खड़े हो जाए फिर नियत करें

नियत जुमे की नमाज़ की नियत का तरीका कुछ इस तरह है


हर नमाज की नियत अलग-अलग होती है चाहे वह फर्ज हो या सुन्नत या नफील उसी तरह दो रकात जुमे की फर्ज नमाज़ की नियत भी बाकी नमाज की तरह अलग होता है


नियत नियत करता हूं मैं 2 रकात नमाज जुमा की फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ के अंदर


नियत करने के बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपने कानों के लौ तक ले जाना है फिर दोनों हाथ को नाक के नीचे बांध लेना है फिर आप सना पढ़ना है


फिर तउजु यानि अउजुबिल्ला.... दूसरा बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ना है इसके बाद आप खामोश हो जाएं इमाम की केरत सुने यानी इमाम अल्हम्दुलिल्लाह और कोई एक सूरत की किरत करेगा

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकु में जाएंगे रुकु में सुबहान रब्बीयल अज़ीम पढ़ेंगे आपको भी पढ़ना है

फिर इमाम साहब समीअल्लाह हुली मन हमीदा कहते हुए रुकु से खड़े हो कर सजदे में चले जाएंगे फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहान रब्बीयल आला पढ़ें

दोसरी रकात

दोसरी का तरीका पहली रकात जैसी होगी उसके बाद सबसे पहले एक मर्तबा अत्ताहियात पढ़ते हुए अपने शहादत के उंगली को उठाएं वह अत्तहियात दिया है


नोट:- जब आप आशादू अल्लाह इलाहा इलल्लाह पड़े तो साथ में शहादत के उंगली को ऊपर सीधा सामने की तरफ इशारा करके भी उठाएं यह जरूरी है उसके बाद एक मर्तबा दरूद इब्राहिमी पढ़ें


फिर उसके बाद एक मरतबा दुआ ए मसुरा है बड़े


और फिर सलाम फिरे अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह पहले अदाएं जानी मुंह फेरे फिर अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह बाय जानी मुंह फेरे



इस तरह से आप की जुनी की 2 रकात फर्ज पूरी हो गई इसी तरह बाकी की सुन्नत और नफील की नमाज पढ़ा जाता है कोई बदलाव नहीं करना है




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