Top 10 Islamic Masail || इस्लाम में 10 मसाला पता होना चाहिए

0

 Top 10 Islamic Masail || इस्लाम में 10 मसाला पता होना चाहिए 



इस पोस्ट में बहुत अच्छी अच्छी जानकारी मालूम करेंगे जो हर मुसलमान को पता होना चाहिए 
लेकिन नहीं मालूम होता है इस लिए इस पोस्ट को आप लोगों के साथ शेयर करने की कोशिश की 

शरीरात में हर किसी के अच्छे और बुरे कामों के के लिए  क़ानून मुकर्रर किए गये  हैं और उन कामों की इस्तिलाहात तय की गयी हैं। 

हर काम के दरजात तय करने की वजह यह है कि हर तरह के कामों कीअहमियत जा़हिर  हो। यह वह इस्तलाही बोलियां हैं कि इनको जान लेने से इस पोस्ट को समझने में मदद मिलेगी और मसाइल के समझने में हर जगह बहुत ही सहुलत और आसानी  हो जाएगी पोस्ट को पढ़ने से पहले इन इस्तिलाहों को खूब समझ कर अच्छी तरह याद कर लें!             

  

 Farzk Kya Hai?

वह है जो  शरीआत की यक़ीनी दलील से साबित हो। इसका करनाजरूरी और बिला किसी उज्र (कारण) के इसके छोड़ने वाला फ़ासिक़ और जह जहन्नमी और इन्कार करने वाला काफ़िर है |

 जैसे :   नमाज, रोजा,  हज व ज़कात, वैगरह फिर फ़र्ज़ की दो किस्में है

 एक फ़र्जे ऐन 

दुसरा फ़र्जी किफ़ाया। 

(१) फ़र्जी ऐन वह है  जिस  का अदा करना हर आकिल  व बालिग मुसलमान पर जरूरी है जैसे पाॅचो वक्तो नमाज       बगैर और फर्जे किफाया 

वह है जिसका अदा करना हर एक पर जरूरी नहीं बल्कि कुछ लोगों के अदा कर लेने से सब की तरफ़ से अदा हो जाएगा और अगर कोई भी अदा न करें तो सब गुनाहगार होंगे जैसे नमाजे जनाजा़ बगै़रह        "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

Wajib Kya Hai? 

वाजिब वह है जो शरीअत की जन्नी दलील से साबित हो इसका करना जरूरी है और इसका बिला किसी तावील और बगैर किसी उज्र के छोड़ने वाला फासिक और आजाब का मुस्तहक है लेकिन इसका इंकार करने और वाला काफीर नहीं बल्कि गुमराह  व बदमज़हब है।                       "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

  

Sunnate Muakkidah Kya Hai?

वह जिसको हुजूर नबीए करीम सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने हमेशा किया  होअलबत्ता बयाने जवाज़ के लिए कभी छोड़ भी दिया हो। इसको अदा करने में बहुत बड़ा सवाब  और इसको कभी इत्तेफाकिया तौर पर छोड़ देने से अल्लाह व रसूल का एताब और इसको छोड़ देने की आदत डालने वालों पर जहन्नम का अज़ाब होगा जैसे नमाज़ फ़जर की दो राकात सुन्नत नमाज़ 

जोहर की चार  रकात फ़र्ज से पहले और दो रकात फ़र्ज के बाद की सुन्नतें नमा़ज मग़ारिब की दो  रकत सुन्नत और नमाज ईशा की दो  रकात सुन्नत। यहां नमा़जे पंजगाना की बारह रकअत सुन्नते सब सुन्नते मुआकिदाह है                   "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

       

Sunnate Gair Mukkidah Kya Hai?

वह है जिसको हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किया हो  और बगैर किसी उज्र के कभी -कभी इसको छोड़ भी दिया हो इसको अदा करने वाला सवाब पायेगा और छोड़ देने वाला अ़जा़ब का मस्तहक़ नहीं जैसे अस्र की चार रकअत सुन्नत और ईशा  की चार रकअत सुन्नत कि यह सब सुन्नते गैर मुआक्किदह हैं। सुन्नते गै़र मआक्किददह को सुन्नते जा़इदह भी कहते हैं।                   "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

Mustahab Kya Hai?

हर वह काम जो शरीअत की नज़र में बुरा भी न हो खास इस काम को रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने किया  हो या उसकी तरगीब दी हो या उल्माए सालेहीन  ने इस को पसन्द फ़रमाया हो अगरचा हदीसों में इस का जि़क्र न आया हो। यह सब मुस्तहब है। मुस्तहब को करना सवाब और इस को छोड़ देने पर 

कोई अ़जा़ब है न कोई अताब जैसे वुजू़ 

करने में क़िब्ला रु होकर बैठना नमाज में बहाते 

क़याम सज्दह गाह पर नजर रखना खुतबा में 

खुल्फाए रशेदीन वगै़रह   का जि़क्र मिलाद शरी़फ  पीराने कुब्बार के वज़ाइफ़ वग़ैरह। मुस्तफा को मन्दूब भी कहते हैं।                        "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "



Mubah Kkya Hai?

मुबाह वह है जिसका करना और छोड़ देना दोनों बराबर हो जाए जिसके करने में न कोई सवाब हो और छोड़ने में न कोई अजाब हो जैसे लज़िज़ ग़जा़ओं  का खाना और नफीस कपड़ो का पहनना वगैरह       "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "



Haram Kya hai?

हराम वह है जिसका सबूत यकीनी शरई दलील से है । इस का छोड़ना जुरुरी और बाईसे सवाब 

है और इसका एक मरतबा भी क़सदन करने वाला फ़ासिक़ व जहन्नमी और गुनाहे कबीरा का मूर्तकिब है

और इसका इन्कार वाला काफिर है   खूब  समझ ले कि हराम फ़र्ज़ का मुक़ाबिल है 

यानि फर्ज़ का करना  जुरुरी है और हराम का छोड़ना जरुरी है।                     "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "


     

Mkaruhe Tahrimi Kya Hai?

मकरूहे तहरीमी  वह है जौ शरीअत की ज़श्न दलील से साबित है इसका छोड़ना लाज़िम और बाईसे सवाब है और इसका एक मरतबा भी क़सदन करने वाला फासिक व जहन्नमी और गुनाहे कबीरा हराम के करने से कम है । मगर चन्द बार इस को कर लेना गुनाहे कबीरा है । अच्छी  तहर ज़हन नशीं कर लें कि यह वाजिब का मुक़ाबिल है यानी वाजिब को करना लाज़िम है और मकरूहे तहरीमी का छोड़ना लाज़िम है ।         "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

 


Asa'at Kya Hai?

असाअत वह है जिसका करना बुरा और कभी  इत्तेफाकि़या कर लेने  वाला लाएके़ एताब और इस को कर लेने की  आदत बना लेने वाला मुस्तहके़ अ़जा़ब है। वाजे़ह रहे कि यह सुन्नते मुआक्किदह का मुक़ाबिल है यानी सुन्नते मुआक्किदह को करना सवाब और न करना बुरा है ।                       "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "


Makruhe Tanjihi Kya Hai?

मकरूहे तनजीही वह है जिसका करना शरीअत को पसन्द नहीं मगर इसके करने वाले पर अ़ज़ाब नहीं होगा यह सुन्नत मुआक्किदह का मुक़ाबिल है। वह कि इसके छोड़ देना बेहतर था लेकिन कर लिया तो कुछ मुज़ाइक़ा नहीं। यह मुस्तब का मुक़ाबिल है।         "अनवार शरीअत - नमाज़ कामिल "

Khilaafe Aula Kya Hai?

खिलाफ़े औला वह है की इसको छोड़ देना बेहतर था लेकिन कर लिया तो कुछ मुज़ाइका नहीं | यह मुस्तहब का मुकाबिल है | 

इसी तरह की पोस्ट रीड करने के लिए हमारे वेबसाइट पर विज़िट ज़रूर करे और पोस्ट पसन आने की सूरत मे इस पोस्ट को शेयर करना न भूले शुक्रिया 

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top