बे नमाज़ी की सज़ाएं । be namazi ka anjam

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बे नमाज़ी की सज़ाएं । be namazi ka anjam



बे नमाज़ी के 15 दर्दनाक और सज़ा जिसे सिर्फ़ नमाज़ ना पढ़ने वालों को दिया जाएगा अल्लाह ना करे की आप भी बे नमाजियों में से हो अगर आप उन में से हैं तो ये 15 साजाएं जान कर आप भी नमाज़ पढ़ना शुरू कर देंगे इंशा अल्लाह

अगर ( Be namazi ki 15 saza)आप बे नमाज़ी होने की सजा के बारे में जानना चाहते हैं तो इस वीडियो को पूरा देखे और उम्मीद है कि पूरा देखेंगे


  1. ■ हिसाब सख्ती से लिया जाएगा।

  2. ■ हिसाब के वक्त अल्लाह उससे नाराज होगा।

  3. ■ वे नमाजी की उम्र में बरकत नहीं होती।

  4. ■ एक गंजा सांप उसे काटता रहेगा।

  5. ■ मौत के वक्त इतनी सख़्त प्यास लगेगी कि अगर दरियाओं का पानी पिला दिया जाए तो भी प्यास नहीं बुझेगी। 

  6. ■ कब्र में आग भड़का दी जाएगी।

  7. ■ भूका-प्यासा मरेगा।

  8. ■ कयामत में वह जलील होगा।

  9. ■ उसकी दुआ कुबूल नहीं होती। 

  10. ■ किसी नेकी का सवाब नहीं मिलता।

  11. ■ चेहरे पर ईमान का नूर नहीं रहता। 

  12. ■ अल्लाह उस मुंह के बल जहन्नम में धकेलेगा

  13. ■ अल्लाह बे नमाज़ शख्स को नाराजगी से देखेगा जिससे उसके चेहरे का मास गिरने लगेगा

  14. ■ बे नमाज़ी के जिस्म की मजबूती छीन ली जाएगी

  15. ■ उनकी नींद का सकूं ख़तम हो जाएगा 


 Be namazi ki 15 dardnak saza

आज का सवाल

हम लोग नमाज़ केउन नहीं पढ़ते है हालांकि कुरआन मे अल्लाह इरशाद फरमाता है

जन्नत वाले जब जहन्नम वालों से पुछेंगे की तुम्हें क्या चीज़ जहन्नम मे ले आई है तो वो कहेंगे नमाज़ नहीं पढ़ते थे

और मिसकीन को कहना न देते थे और बेहूदा फिक्र वालों के साथ बेहूदा फिक्र करते थे और इंसाफ के दिन को झुटलाते रहे यहाँ तक की मौत आई

( सूरह मुदससीर आयत 40 : 47 ) समझ नहीं आया तो आगे तफ़सीर से पढ़ें


इस आयत का खुलासा यह है की  ईमान वाले आखिरत में बागों मे होंगे और जब जह्ननम मे दाखिल होने वाले 

मोमिन उस से निकाल जाएंगे तो जन्नती काफिरों से उनका हाल पूछेंगे की तुम्हें कौन सी  चीज दोजख  में ले गईऔर उन्हें जवाब देते हुए कहेंगे हम दुनिया में नमाज पढ़ने वालों में से नहीं थे क्योंकि हम नमाज के फर्ज होने का एतकाद नहीं रखते थे और मुसलमानों की तरह मिस्कीन पर सदका नहीं करते थे और अल्लाह ताला की आयात के बारे में बेहूदा फिक्र करने वालों के साथ बैठकर बेहूदा बातें सोचते थे और उनके बारे में झूठी बातें बोलते थे और हम इंसाफ के उस दिन को झुठलाते  रहे जिसमें आमाल का हिसाब होगा और उनकी जजा  दी जाएगी यहां तक कि हमें मौत आई और हम उन मजमुम ईफ़ाल की वजह से हमेशा के लिए जहन्नम में दाखिल हो गए 





( सूरह इब्राहीम,आयत न 40 )
رَبِّ اجْعَلْنِي مُقِيمَ الصَّلَاةِ وَمِنْ ذُرِّيَّتِي ۚ رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَاءِ رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ
             ये मेरे रब मुझ को और मेरी औलाद को नमाज़ का खास अहतमाम करने वाला बना दे 

ज़रा गौर करो ऐ मुसलमानो जान बुझ कर नमाज़ छोड़ने वाले हम कैसे मुस्लमान कहलाने के हक़दार हो सकते हैं। जब कभी लड़ने की बात आती हैं तो हम पीछे नहीं रहते लेकिन दीन के कामो से दूर क्यों? अल्लाह के वास्ते ऐ मुसलमानो अपना और नमाज़ का रिश्ता मज़बूत कर लो। मस्जिदों को अपने सजदों से आबाद कर दो। अब भी मौका हैं सच्चे दिल से तौबा करके अपने रब को राज़ी कर लो क्यूंकि अगर रब राज़ी हो गया तो दुनिया की कोई भी मुसीबत तुम पर नहीं आ सकती। गरीबी, बेरोज़गारी, मुसीबतो, रंज और गम लाचारी का एक ही इलाज हैं और वो हैं नमाज़ ।


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अल्लाह हम सब को पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।



 


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